कड़ाके की ठंड से उबारने में लोगों के मसीहा बने नैमुल्लाह
रिपोर्ट:–महेश राव जिला संवादाता कुशीनगर
" परहित सरिस धरम नहि भाई" अर्थात दूसरे की भलाई करने के समान कोई दूसरा धर्म नहीं है। इस बात को चरितार्थ करते हुए कुशीनगर के खड्डा ब्लाक के ग्राम सभा बरवारतनपुर के निवासी नैमुल्लाह उर्फ नैमुल कड़ाके की ठंड से लोगों को उबारने के लिए दिनों रात लगे रहते हैं। कंधे पर कुल्हाड़ी लिए सूखे लकड़ियों की तलास में सुबह निकल पड़ते हैं और जरूरतमंदों को उन्हें प्रदान कर ठंड से उबारते हैं। रास्ते में यदि किसी ने किसी भी प्रकार की सेवा के लिए उन्हें आवाज दे दिया तो अपना सब काम भूलकर उसकी मदद में जुट जाते हैं। खुद में कई प्रकार की हुनर को रखने के कारण उनके पास लोगों का ताता लगा रहता है और नैमुल्लाह यथा संभव सबकी मदद करने के लिए तत्पर रहते हैं। कहीं किसी को अस्पताल ले जाने के लिए साथ में जाने वाले की कमी रहती है तो नैमुल्लाह खुद साथ में नेपाल, विहार एवं सुदूर अस्पतालों तक साथ जाकर दवा कराने में सदा तैयार रहते हैं। उनकी सेवा भाव में केवल मनुष्य ही नही बल्कि अन्य प्राणियों की सेवा भी समाहित है। गांव के कुत्ते उनके आगे –पूंछ हिलाते हुए देखे जा सकते हैं क्योंकि नैमुल उनके लिए कुछ न कुछ खाने की व्यवस्था अवश्य करते हैं। यदि किसी बेसहारा व्यक्ति या पशु को कोई तकलीफ हो जाती है तो उसकी रक्षा के लिए वे दवा का भी इंतजाम करते हैं। ऐसे लोग जिनके पास कपड़े, जूते इत्यादि नहीं रहते तो नैमुल का ह्रदय द्रवित हो जाता और वे येन –केन प्रकारेण उनके लिए कपड़े जूते इत्यादि की व्यवस्था करते हैं। नैमुल्लाह एक अच्छे शायर भी हैं जो सुबह शाम पास रहने वाले लोगों का अपने शायरी के द्वारा मनोरंजन भी किया करते हैं। आर्थिक रूप से कमजोर होते हुए भी उनके सेवा भाव से कई गावों के लोगों के बीच नैमुल्लाह की एक अलग छवि है। लोग उनके सेवा व समर्पण की भावना वाले कर्म से हातिमताई,गोपीचंद इत्यादि कई नामों से संबोधित करते हैं।वे कहा करते हैं कि सभी प्राणियों की सेवा ईश्वर की सेवा के समान है और इसके जैसा कोई बड़ा धर्म नहीं है इसलिए किसी भी प्राणी को पीणा नहीं पहुंचानी चाहिए और निरंतर उनकी सेवा करनी चाहिए।