मकर संक्रांति का महत्व:प०प्रकाश चंद हिन्दू


रिपोर्ट :फणीन्द्र कुमार मिश्र
 मकर संक्रांति में “मकर”  शब्द को मकर राशि के रूप में माना जाता है जबकि “संक्रांति”  का अर्थ संक्रमण से होता है इसे “प्रवेश करना” भी कहा जाता है। मकर संक्रांति के दिन सूर्य दक्षिणायन से अपनी दिशा बदलकर  उत्तरायण मे जाता है ।अर्थात सूर्य उत्तर दिशा की ओर बढ़ता है, जिससे दिन की लंबाई बढ़ती है और रात छोटी हो जाती है।पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन को नई फल और नई ऋतु के स्वागत के लिए मनाया जाता है

मकर संक्रांति का धार्मिक और सांस्कृतिक दोनों ही महत्व हैं 
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 माना जाता है कि मकर संक्रांति के दिन सूर्यदेव अपने पुत्र शनिदेव के घर मे जाते हैं। सूर्यदेव इस दिन मकर राशि में जाते है । शनिदेव को मकर और कुंभ राशि का स्वामी भी माना जाता है । इस कारण से यह दिन पिता और पुत्र के मिलन को भी दर्शाता है ।इस बार मकरसंक्रांति 14 तारीख 2023 को रात 8  बज कर  21 मिनट पर मकर राशि में प्रवेश कर रहे है इस प्रकार 15 तारीख उदया तिथि पर मकर सक्रांति का पर्व होगा। माना जाता है की मकर संक्रांति के दिन किया गया दान सर्वश्रेष्ठ है और और यह अन्य दिन किए हुए दान की अपेक्षा अधिक महत्व रखता हैऔर कहा जाता है की इस दिन विशेष रूप से तिल का दान किया जाता है और यह भी कहा जाता है कि इस दिन तिल का दान करने से ईश्वर हमारे पापों को भी नष्ट करते है।               

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