अलख जगे घर-घर शिक्षा की

रचनाकार:कवि सम्राट आलोक शर्मा
महराजगंज
अलख जगे घर-घर शिक्षा की,
जन-जन का अधिकार हो!
शिक्षित ज्ञानी हो समाज,
सबको शिक्षा से प्यार हो!!

शिक्षा वह दौलत है जिसको
मोल नही पाता कोई,
लूट नहीं सकता मानव,
 दे सकता है दाता कोई!!

शिक्षित बनें बनाएं सबको,
जीवन और जहांन खिले!
सावित्री फूले हो बेटी,
घर-घर भीम महान मिले....।।

ऊंच_नीच न जाति-धर्म ,
न  छुआ-छूत का भेद रहे ।
बेहतर शिक्षा मिले सभी को,
मन मे कहीं न खेद रहे।।

जले दीप घर-घर शिक्षा का ,
अंधकार सब दूर हो,
हो प्रकाश उर अंतर्मन,
प्रज्ञा  भी  भरपूर  हो

जितना खर्च करो बढ़ जाता,
हो इसका व्यवसाय नहीं!
नैतिक धर्म कर्म ही समझे,
साधन अर्थ उपाय नहीं!!

आओ मिल हम अलख जगाएं,
शिक्षा से हो प्यार,
हर घर-घर व जन-जन का हो,
शिक्षा पर अधिकार
                   🙏🙏
*रचनाकार आलोक शर्मा महराजगंज*
        

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