संकष्टी चतुर्थी व्रतधारी महिलाओं ने भगवान गणेश और चंद्रदेव का पूजन –अर्चन कर मनवांछित फल की प्राप्ति व संतानों के दीर्घायु होने की कामनाएं
रिपोर्ट:–महेश राव जिला संवाददाता कुशीनगर
दिनांक 10/01/2023, हिंदी पंचांग के अनुसार माघ मास के कृष्ण पक्ष के चतुर्थी तिथि दिन मंगलावर को हिंदू धर्मावलंबी माता/बहिनों ने मनवांछित फल की प्राप्ति व अपने संतानों की दीर्घायु होने की कामना के लिए गणेश संकष्टी (सकट) चतुर्थी का व्रत धारण कर भगवान गणेश व भगवान चंद्रदेव का पूजन –अर्चन किया। संकट का अर्थ होता है विपत्ति, अर्थात यह व्रत सारे संकटों को विघ्नहर्ता भगवान गणेश और भगवान चंद्रमा की कृपा से मूल से विनाश कर देता है। वैसे तो प्रत्येक महीने के कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी कहते हैं परंतु माघ मास में पड़ने वाली संकष्टी चतुर्थी का विशेष महत्व होता है। इस बार की संकष्टी चतुर्थी मंगलवार को पड़ने से बहुत खास हो गई है। आज के दिन माताएं अपने पुत्र की दीर्घायु की कामना करते हुए गणेश जी की पूजन अर्चन करती हैं और सकट चौथ का व्रत धारण करते हुए निर्जला व्रत रखती हैं। रात्रि में भगवान चंद्रदेव का दर्शन होते ही उन्हें अर्घ्य देकर व्रत को पूर्ण करती हैं। पौराणिक कथा के अनुसार आज के दिन माता पार्वती ने यह व्रत धारण किया था जिसके फलस्वरूप भगवान शंकर ने गणेश जी के कटे सिर के स्थान पर हाथी का सिर जोड़कर भगवान गणेश के कष्ट को सदा के लिए दूर कर दिया था। कहते हैं तबसे लेकर आज तक माताएं अपने संतानों की मंगल की कामना के लिए इस व्रत को धारण करती हैं।
आज मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम के सुपुत्र राजा ’ कुश ’ द्वारा बसाई गई , भगवान गौतम बुद्ध की परिनिर्वाण स्थली जनपद कुशीनगर में अति श्रद्धा के साथ माताओं द्वारा इस व्रत को धारण कर अपने संतानों की सुख शांति एवं अभीष्ट वर की प्राप्ति के लिए विघ्नहर्ता भगवान गणेश व भगवान चंद्र देव का विधि– विधान से पूजन अर्चन किया गया।