गुरु नानक प्रकाश उत्सव की मान्यता और महत्ता
#रिपोर्ट :प्रेम सागर चौबे
निचलौल, महराजगंज
सिखों के प्रथम गुरू गुरुनानक देव जी के प्रकाश उत्सव को कार्तिक पूर्णिमा के पावन अवसर पर मनाने हेतु पूरे देश भर के गुरुद्वारों में तैयारियाँ जोरों पर हैं। इस साल प्रकाश पर्व को लेकर उत्साह दो गुना है क्योंकि दो साल बाद कोरोना गाइडलाइन की पाबंदियाँ कुछ कम हैं। गुरुनानक जयंती को गुरु पर्व, प्रकाश पर्व व गुरुपूरब के नाम से जाना जाता है। ईसी दिन गुरुनानक जी का जन्म हुआ था व प्रकाश पर्व पर प्रत्येक वर्ष गुरुनानक देव जी ने ही सिख धर्म की स्थापना की थी। इस पवित्र दिन को सिख समुदाय के लोग पूरे अकीदत के साथ गुरुद्वारे जाकर मत्था टेकते हैं व कीर्तन करते हैं तथा चारों ओर दीप जलाकर रोशनी की जाती है। इतिहास है कि इसी दिन को गुरुनानक देव जी ने नाम जपो, कीरत करो और वंड छको का फलसफा दिया था। इस साल यह पर्व 8 नवम्बर को मनाया जा रहा है। गुरुनानक जी का जन्म कार्तिक पूर्णिमा को पाकिस्तान में स्थित ननकाना साहिब मे 1469 ईस्वी में पंजाब प्रांत के तलबड़ी में हुआ था। इनके माता का नाम तृप्ता और पिता का नाम कल्याण चंद था। बचपन से ही नानक जी अपना ज्यादा समय चिंतन, मनन मे बिताते थे, उन्हें सांसारिक बातों का मोह नही था। वह एक संत, गुरु और समाज सुधारक थे। उन्होंने अपना पूरा जीवन मानव हित में समर्पित कर दिया था।