नगर पालिका परिषद सिसवा बाजार



#रिपोर्ट:अनिल जायसवाल
सिसवा बाजार / महराजगंज

सिसवा नगर पंचायत में 12 जुलाई 2012 से 2017 तक चैयरमैन रहे अशोक जायसवाल के बाद प्रशासक नियुक्त हुए। 29 नवम्बर 2017 को मतदान हुआ । जिसमें रागिनी देवी पत्नी जगदीश जायसवाल अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी पुष्पा देवी माता रोशन मद्धेशिया को हराकर टाऊन एरिया के अध्यक्ष पद पर आसीन हुई। 31 दिसम्बर 2019 को नगर पंचायत सिसवा , नगर पालिका परिषद स्वीकृत हुआ। महराजगंज जिलाधिकारी के अनुमोदन आदेश 02/06/2021 द्वारा नगर पालिका परिषद सिसवा बाजार में अविनाश कुमार अपर उप जिलाधिकारी सदर महराजगंज को अग्रिम आदेशों तक के लिए प्रशासक बनाया गया था। तत्पश्चात फरवरी 2022 में उप चुनाव की सूचना आयी ,मतदान 13 मार्च 2022 और मतगणना 15 मार्च 2022 को हुआ, जिसमें शकुन्तला देवी पत्नी गिरजेश जायसवाल विजयी होकर नगर पालिका परिषद सिसवा बाजार की पहली अध्यक्षा बनी।
*क्या था ?क्या हो गया ?सिसवा बाजार*
*बदलते परिवेष ने निगल लिया विकास*
 सिसवा बाजार पानी में रहने वाली जोंख की तरह विकास के खून को चूसकर गुमनामी के अंधेरे में अपनी ही दुर्दशा पर आंसू बहा रहा सिसवा नगर पालिका परिषद कभी पूर्वांचल के प्रमुख व्यवसायिक केंद्र के रूप में  जाना जाता था । जहाँ अतीत  में विकास की गंगा थी,भाईचारा था, रोजी- रोटी थी तथा अनाज सहित विभिन्न खाद्य पदार्थों व सब्जी के व्यवसाय के लिए पड़ोसी मुल्क नेपाल व पड़ोसी राज्य बिहार सहित दूर- दूर से व्यापारी मंडी में आते थे। 152 वर्ष पुरानी नगर पंचायत रही इस नगरपालिका परिषद के बाजार में अनाज के साथ-साथ किराना, दवा व कपड़ा व्यवसाय भी खूब तरक्की पर था। टिकोरी सिंह के सिसवा के नाम से प्रसिद्ध यह बाजार आजादी के बाद से काफी उन्नति पर था। यहां नेपाल, बिहार के गोपालगंज सहित गोरखपुर मंडल के कई जनपदों के व्यापारी व्यवसाय के लिए आते थे। यहां सप्ताह में दो दिन बुधवार और शनिवार को बाजार लगता था जो अब नाम मात्र का ही रह गया है।इस नगरपालिका परिषद की दिल कही जाने वाली गुदड़ी गली (जो अब मेन मार्केट है) में जहाँ घी और दही की दुकाने सजती थीं तो वहीं मसाले व गुड़ का बाजार भी लगता था। गल्लामंडी पूरी तरह गुलजार हुआ करती थी, सैकड़ों की संख्या में बैलगाड़ियों में गेंहू, चावल, विभिन्न प्रकार के दाल, सरसों, राई सहित विभिन्न खाद्य पदार्थ लाद कर मंडी में बेचने के लिए दूर-दूर से व्यापारी आते थे। परंतु धीरे-धीरे गल्ला व्यवसाय मंद पड़ने लगा। सिसवा के वयोवृद्ध लोगों का कहना है कि सिसवा नगरपालिका परिषद व्यवसाय का कभी प्रमुख केंद्र था । लेकिन अब बड़े -बड़े व्यापारी बड़े शहरों का रूख कर लिए हैं। यहां का घी एवं दही काफी मशहूर था। कपड़े का कारोबार भी काफी बड़ा था लेकिन उम्मीद के अनुसार नगर पालिका परिषद का विकास नहीं हो सका क्योकि आज भी हल्की बारिश हो जाय तो सिसवा से असमन छपरा होते हुए बेलवा पर बिना गिरे जाना युद्ध लड़ने के बराबर है। बिहार प्रांत को जोड़ने वाली पनियहवा गंडक नदी पर पुल निर्माण के बाद से यह बाजार कपड़ा, किराना सामान व दवा का मुख्य व्यवसायिक केंद्र बन कर उभरा था । लेकिन अब बडे़ व्यवसायी बड़े शहरों की तरफ जहाँ रुख कर लिए और देश के विभिन्न क्षेत्रों में अपना व्यापार स्थापित कर लिए हैं वहीं धीरे-धीरे सिसवा का उन्नत बाजार  खत्म होता चला गया।यहाँ अब भी दर्जनों महत्वपूर्ण स्कूल है जिसमे शिक्षा जगत के महान गुरुकुल चोखराज तुलस्यान सरस्वती विद्या मंदिर सिसवा,  सेंट जोसेफ्स सीनियर सेकेंडरी स्कूल सिसवा बाजार, बी0एस0एस0 तथा आर0पी0 आई ० इंटर कालेज बीजापार सिसवा बाजार ,प्रेमलाल सिंघानिया कन्या इंटर कॉलेज,यूपी पब्लिक स्कूल ,मलवरी कॉन्वेंट स्कूल, आदर्श शिशु मंदिर, स्टर्लिंग पब्लिक स्कूल, एस०के०एस०डी०स्कूल तथा एम० जी०आई०इंटर कालेज जहाँ के अनुभवी अध्यापकों से शिक्षा लेकर विद्यार्थी प्रदेश ही नहीं वरन  देश में सैनिक,डॉक्टर ,वकील ,इंजीनियर ,मजिस्ट्रेट व जिला अधिकारी बनकर अपने गांव, स्कूल, प्रदेश व  देश का नाम रोशन करते हैं। सिसवा बाज़ार उत्तर  प्रदेश की सबसे पुरानी टाउन एरिया थी जो वर्तमान में नगर पालिका परिषद में तब्दील तो हो गई है लेकिन नगर पालिका परिषद की तरह साफ-सुथरी नहीं लगती है। आए दिन यहां सड़कों पर जहाँ गधे घूमते दिखाई देते हैं तो वहीं नालियां ऐसी बनी हैं जिनका कोई उपयोग ही नहीं है। सड़कें जर्जर हैं, नाली के पानी निकासी की कोई समुचित व्यवस्था ही नहीं है। अभी भी सिसवा के कई वार्डों में जल जमाव की स्थिति है लेकिन किसी अधिकारी को इस तरफ ध्यान देने की फुर्सत ही नहीं है। यहाँ के लोग मुख्यतःकृषि पर निर्भर है जिसमे गन्ना, चावल, गेहू, तिलहन इत्यादी मुख्य उत्पाद है। यहां पर यातायात के लिए रेलवे प्रमुख साधन है। लेकिन कोरोना काल मे बन्द हुए पैसेंजर्स और एक्सप्रेस ट्रेनों का अभी तक पूर्ण रूपेड संचालन नही हो रहा है।आखिर सिसवा नगर पालिका परिषद की इस दुर्दशा के लिए कौन जिम्मेदार है ?क्या सारी योजनाएं सिर्फ कागजी लतीफे हैं या अधिकारियों की मिलीभगत से इसका उत्थान रुका हुआ है ।

: सिसवा नगर पालिका परिषद बनने के बाद विकास के नजरिए से जिस तरह से विकास होना चाहिये उस गति से नही हो रहा है। साफ़-सफाई पर नगर पालिका ध्यान तो दे रही है। लेकिन मच्छरों की समस्या से निजात नही मिल पा रही है।जिस कारण से इस समय ड़ेंगू और बुखार जैसी बीमारिया लोगों को डरा रही है।


 डॉ योगेंदर चौबे
पूर्व चिकित्साधिकारी
राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालय सिसवा बाजार

: नगर पंचायत से नगर पालिका बनने के बाद विकास तेज़ी से नही हो रहा है। आज भी सड़के दुरुस्त नही है। नाली जाम की समस्या पहले जैसी ही है।सिसवा में स्थित प्रमुख मंदिरों श्री हट्ठी माई स्थान, श्री काली मंदिर, श्री सायर देवी , श्री दुर्गा देवी,श्री राधाकृष्ण मंदिर और हरपुर पकड़ी स्थित बौरहवा मंदिर का सुंदरीकरण और नगर के प्रमुख स्थानों पर मंदिरों की महिमा का वर्णन उल्लिखित किया जाय।
  दमनदीप सिंह सेठी
  व्यापारी

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